Sunday, 2 December 2018

स्वामी व्यसानन्द जी महाराज

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☺ पहले जन्म पूत का भयउ बाप जनमिया पाछे”💐
धर्म का मूल गुरु की मूर्ति हैं, कर्म का मूल गुरु के चरण हैं, सत्य का मूल गुरु के वचन हैं, और शांति के मूल गुरु की कृपा हैं"💐👍
स्वामी व्यासानद जी महाराज"
वेद और विद्वान कहते हैं कि परमात्मा के नाम, गुण और कर्म अनंत हैं, पुनः वे ही कहते हैं कि परमात्मा अनाम अगुण और कर्म रहित है ,
एक जातिगत जन्मजात नाम होता हैं जैसे: गाय, भैंस, किट, पतंग, कौआ, मैना, पीपल, बरगद, ब्राह्मण, क्षत्रिय, यक्ष, गंधर्व, आदि।
दूसरा स्वभावगत संस्कारी नाम होता हैं।
जो किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा रखा जाता हैं।
जैसे : राम श्याम, गायत्री, सावित्री आदि।
एक नाम सार्थक होता हैं, तो दूसरा निरर्थक होता हैं, सार्थक नाम वह कहलाता हैं कि जिसका कोई अर्थ हो,
भाव हो, उद्देश्य हो, महत्ता हो, गुण सहित हो



“पलटू प्रथमें संत जन दूजे हैं करतार”💐

ज्ञान सम्पूरण अंग सम 💐

👍 श्रेष्ट कुल में जन्म लेने के कारण उनकी (व्यसानन्दजी महाराज) रुचि सहस्त्रनाम जैसे गायत्री, यमुना, शिव, गोपाल, विष्णु सहस्रनाम पढ़ने की आदत थी
जब उन्होंने संतमत में दीक्षित होकर अपने गुरुदेव की समाधि सिद्ध अवस्था देखी तो बलात मन में एक ललक पैदा हुई कि जिन संत सदगुरु की महिमा गाते राम कृषणादि महान देव भी नहीं अघाते, उनका नाम क्यों नहीं प्रकिशीत हो।😊👌

हे गुरु आप महान ज्ञानवान, आत्मज्ञ, महान खोजी सर्वत्र परिव्याप्त, परमात्मा को अपने ही अंदर ढूंढने वाले, महत्तम पदार्थ की तलाश करने वाले, महान ज्ञानी, महान परमात्मा को जानने वाले, श्रेष्ठ ज्ञान अनुभव ज्ञान के रूप, विशाल हृदय वाले, महान धैर्यवान, समग्र विश्व की समस्त विपतियों को सहजता पूर्वक झेल लेनेवाले।
समग्र इन्द्रिय एवम उनसे उद्भूत समस्त विकारों को पराजित कर देने वाले।बहुत बड़ा किनारा जहां के भक्त को भवसागर से पार उतारने वाली भक्ति रूपी नाव मिल जाती हैं।
अत्यंत विशाल वृक्ष जिसके नीचे शीतल छाया मिलती हैं,
बहुत बड़े सहायक, जन्म मरण रूप महान विपत्तियों से निस्तार करने वाले सच्चे सहयोगी, बहुत बड़ा अनुष्ठान करनेवाले निरंतर सत्संग रूपी यज्ञ के अनुष्ठान में लगें रहने वाले।बहुत बड़ी आंख वाले, परमात्मा का प्रत्यक्ष दर्शन करने वाले, बहुत बड़े योगी, योग के सभी अंगों से युक्त रहने वाले,
अविरल भक्त के स्वरूप विशुद्ध, समस्त देवो के शक्ति से भी बढ़कर , तीनों पापों का हरण करने वाले, पर्मात्मास्वरूप, अत्यंत गुप्त, विशालतम, महान वेदज्ञ, दया करनेवाले, निरंतर स्थिर रहने वाले, संत श्रेष्ट, नित्य पवित्र, पंचपाप से रहित, विशुद्ध, योग को विकशित करने वाले, शिष्यों के अंदर सद्गुणों का सृजन करने वाले, प्रसन्नता से भरे हुए, नाम में संयुक्त, मनुष्यों में श्रेष्ट काम विकार को छुड़ानेवाले, भक्तों को परितृप्त करा देनेवाले, प्रभु नाम को हृदय में धारण करने वाले तुझे कोटि कोटि नमन ।










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