Sunday, 2 December 2018

आश्रम जाने की सूचना तथा नियमावली ।

जी मैं आकाश चंद्र मिश्रा " बिट्टू " बाबा आश्रम का एक छोटा सा सेवक हु बाबा की कृपा से मुझे आश्रम में साफ सफाई करने का भाग मिल जाता हैं कभी कभी जब मैं जाता हूं ।
मैंने जितने भी आश्रम देखे हैं, उनकी व्यवस्था अति उत्तम हैं, तथा वहां के वातावरण में शांति तथा भक्ति की विशेष परिदृश्य का संस्कार की एक धारा बहती हैं , सभी साधु महात्माओं का साथ एक विशेष प्रकार की महक लाती हैं जीवन में।
यूँ तो कई आश्रम हैं, मगर स्वामी व्यासानंद महराज जी की मुख्यतः 3 आश्रम में अधिकतर ठहराव होता हैं :
जिनमें
महर्षि मेंहीं ब्रम्ह विद्यापीठ , महर्षि मेंही ज्ञान वाटिका, महर्षि मेंही मठ आते हैं ।
हरिद्वार स्थित महर्षि मेंहीं ब्रह्म विद्यापीठ जाने के लिए आपको हरिद्वार जाने होंगे, हरिद्वार स्टेशन से जब आप बाहर आते हैं तो आपको भगवान शिव की विशाल प्रतिमा देखने को मिलेगी यह दृश्य विश्व विख्यात हैं तथा लोगों में भक्तिमय माहौल मिलेगा, आप वहाँ से ऑटो रिक्शा रिजर्व कर सेकते हैं या हर की पौड़ी आ सकते हैं फिर वहां से आनंदवन सप्तसरोवर गीता कुटीर गली no 3 हरिद्वार आके महर्षि मेंही ब्रह्मविद्यापीठ में
सुबोध बाबा या महर्षि बाबा से मिल कर पूरी जानकारी ले सकते  हैं ।
वहीं बगल में गोशाला भी हैं ।
महर्षि मेंहीं ज्ञान वाटिका में जाने के लिए आपको देहरादून जाना होगा देहरदून स्टेशन से आप रायपुर के लिए ऑटो ले
रायपुर से दून वैली मालदेवता चले जाय वहां से BSF रेंग होते हुए पहाड़ के बीच स्थित इस भव्य आश्रम की भव्यता महान हैं। यहां आपको शंकर बाबा मिल जाएंगे , सुभम जो आश्रम में सेवक हैं वो मिल जाएंगे, वहां के प्रधान जी भी आपको मिल जाएंगे जो आश्रम की निगरानी करते हैं।
महर्षि मेंहीं मठ जाने के लिए आपको सबसे पहले बंगलुरु यशवंतपुर जाना होगा, वहां से आप 258 no की गाड़ी पकर कर मदनायकन हल्ली चले जाएं फिर लक्ष्मीपुरारोड में 2 km चलने से JD अग्रवाल फार्म मिलेंगे वहां से दाहिने आपको 300 जाना होगा वही भव्य आश्रम आपको नज़र आ जाएंगे वहां बलवीर बाबा, संतोष, यादव जी , आपको मिल जाएंगे ।
बंगलोर आश्रम बहुत ही भव्य आश्रम हैं।

नियमावली :
यहां के नियम बहुत ही संस्कारी हैं, सुबह 4 बजे से ध्यान होता हैं फिर स्तुति आरती होती हैं फिर भोजन की तैयारी स्नान आदि की व्यवस्था होती हैं , भोजन प्रांत सभी फिर प्रवचन सुनते फिर विश्राम होता हैं फिर 3 बजे ध्यान होता है  उसके बाद संध्या भोजन की तैयारी होती हैं फिर भोजन उपरांत ध्यान भजन स्तुति आरती से दिन का समापन होता हैं ।
वैसे हर आश्रम में जब बाबा व्यासानंद जी महाराज पधारते हैं तो भक्तों की भीड़ के कारण कुछ फेर बदल होता हैं मगर मुख्यतः यही नियम होता हैं , मैं आकाश दो बार आश्रम के नियम का पालन करने में विफल रहा हूँ, गुरु महाराज से निवेदन , मुझे आशीर्वाद प्रदान करे कि कभी भी अगर आश्रम गया तो आश्रम के नियम का पालन कर पाउ।
जय गुरुदेव ।




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