Sunday, 2 December 2018

संत गुरु नानक देव जी भजन

1.महल महि बैठे अगम अपार।
भीतरी अंम्रितु सोई जनु पावै, जिसु गुर का सबदु रतनु आचार।
दुख सुख दोउ सम करि जाणै, बुरा भला संसार।
सुधि बुधि सुरति नामि हरि पाइओ, सत्संगति गुरु पीआर।
अहिनिसि लाहा हरि नामु परापति, गुरु दाता देवनहारू।
गुर मुखि सिख सोई जनु पाए, जिसनों नदरि करे करतारु।
काइआ महलु मंदरु धरु हरिका, तिसु माहि राखी जोति अपार।
नानक गुर मुखि महलि बुलाईओं, हरि मेले मेलनहार।

गुरु अर्जुन देव जी भजन :
अब मोरे ठाकुर सिउ मनु माना।
साध कृपा दइआल भये हैं, इहु छेदीओ दुसटू बिगाना।
तुम्ही सुंदर तुम्ही सियाने, तुम्हीं सुघर सुजाना।
सगल जोग अरु गिआन धियान एक, निमख ना कीमती जाना।
तुम्हीं नायक तुम्हीं छत्रपति, तुम पूरी रहे भगवाना।
पावउ दानु संत सेवा हरि, नानद सद कुरबाना।



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