भजु मन सतगुरु सतगुरु सतगुरु जी
जीव चेतावन हंस उबारन,
भव भय टारन सदगुरु जी।
भ्रम तम नाशन ज्ञान प्रकाशन,
हृदय विगासन सतगुरु जी।
आत्म अनात्म विचार बुझावन,
परम सुहावन सतगुरु जी।
सगुण अगुणहि अनात्म बतावन।
पार आत्म कहैं सतगुरु जी।
मल अनात्म ते सूरत छोडावन,
द्वैत मिटावन सदगुरु जी।
पिण्ड ब्रह्मांड के भेद बतावन,
सूरत छोडावन सदगुरु जी ।
गुरु सेवा सत्संग दृढ़ावन,
पाप निषेधन सदगुरु जी ।
सूरत शब्द मारग दरसावन,
संकट टारन सतगुरु जी।
ज्ञान विराग विवेक के दाता,
अनहद राता सतगुरु जी ।
अविरल भक्ति विशुद्ध के दानी,
परम विज्ञानी सतगुरु जी ।
प्रेम दान दो प्रेम के दाता,
पद राता रहें सतगुरु जी ।
निर्मल युग कर जोड़ी के विनवो
घट पट खोलिये सतगुरु जी।
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