मारवाड़ वाले तथा इनके अनुयायी इन्हें संत दादू दयाल का अवतार मानते हैं इनके समय में एक और संत हुए जिन्हें दरिया साहेब बिहार वाले के नाम से जाना जाता हैं:
मारबाड़ वाले दरिया साहेब की भजन काफी लोकप्रिय हैं:
मारबाड़ वाले दरिया साहेब की भजन काफी लोकप्रिय हैं:
1.नाम बिन भाव भरम नहिं छूटे।
साध संग और राम भजन बिन, काल निरंतर लूटै।
मल सेती जो मल को धौवे, सो मल कैसे छूटै।।
प्रेम का साबुन नाम का पानी दोय मिल तांत टूटै।
भेद अभेद भरम का भाड़ा, चौड़े पड़ पड़ फूटै।
गुरमुख शब्द गहै उर अंतर, सकल भरम से छूटै।।
राम का ध्यान तू धर रे प्राणी अमृत का मेंह बुटै।
जन दरियाव अरप दे आपा, जरा मरण तब टूटै।।
2. मैं तोहि कैसे बिसरू देवा।
ब्रह्मा विष्णु महेश्वर ईसा , ते भी बांछे सेवा ।
शेष सहस मुख निस दिन ध्यावै, आतम ब्रह्म न पावै।।
चाँद सुर तेरी आरती गावै, हृदय भक्ति ना आवे।
अनंत जीव जाकी करत ना भावना, भरमत बिकल अयाना।
गुरु परताप अखंड लौ लागी, सो तेहिं माहिं समाना।
जन दरिया यह अकथ कथा हैं, अकथ कहा क्या जाई।।
पंछी की खोज मीन का मारग, घट घट रहा समाई।
3. साधो अलख निरंजन सोई।
गुरु परताप राम रस निर्मल और न दूजा कोई ।।
सकल ज्ञान पर ज्ञान दयानिधि, सकल जोत पर जोती।
जाके ध्यान सहज अघ नासै, सहज मिटै जम छोती।।
जा की कथा के सरवन ते ही, सरवन जगत होई।
ब्रह्मा विष्णु महेश अरु दुर्गा, पार ना पावे कोई।
सुमिर सुमिर जन होइ हैं राना , अति झीना से झीना।
अजर अमर आच्छय अविनाशी, महाबीन परबीना।।
अनंत संत जाके आस पियासा, अगन मगन चिर जीवै।
जन दरिया दासन के दासा, महा कृपा रस पीवैं।।
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