गोस्वामी श्री लक्ष्मीनाथ जी की महिमा निराली हैं, उनके भक्तों की कमी नहीं, शिवा भक्त श्री लक्ष्मीनाथ, राम भक्त श्री लक्ष्मीनाथ बाबा जो पूरे विश्व में बाबाजी के नाम से विख्यात हैं.
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"हे जटाधर डमरू बजा के लक्ष्मीपति छि दास अहिं के।
हे रामेश्वर हरे राम भज के लक्ष्मीपति छि दास अहिं के।।"
: आकाश चंद्र मिश्रा"7022075788"👍
1. प्रथम देव गुरु देव जगत में।
प्रथम देव गुरु देव जगत में , और ना दूजो देवा ।
गुरु पूजे सब देवन पूजे , गुरु सेवा सब सेवा।
गुरु इष्ट गुरु मंत्र देवता, गुरु सकल उपचार।
गुरु मंत्र गुरु तंत्र हैं, गुरु सकल संसारा।
गुरु आवाहन ध्यान गुरु हैं, गुरु पंच विधि पूजा।
गुरु पद हव्य कव्य गुरु पावक ,सकल वेद गुरु दूजा।
गुरु होता गुरु याग महापशु, गुरु भागवत ईशा।
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु सदाशिव , इंद्र वरुण दिगधीशा।
बिन गुरु जप तप दान व्यर्थ व्रत ,तीरथ फल नहीं दाता।
लक्ष्मीपति नहिं सिद्ध गुरु बिनु वृथा जीव जग जाता।
2. हैं तो स्वामी सबके भीतर ।
हैं तो स्वामी सबके भीतर लेकिन पता न होता हैं ।
जैसे रंग रहे मेंहदी में वैसा मालूम होता हैं ।।
जैसे मकड़ा जाल जगत में तरह तरह के छाता हैं ।
धरि के देखो उसके भीतर तनिक सुत नहीं मिलता हैं ।।
इंद्रजाल का अजब तमाशा पुतली ताल लगाता हैं ।
हैं कोई भीतर दूसरा बैठा , नाना नाच नाचता हैं ।।
जैसे बुद बुद जल में होता जल माहिं समाता हैं ।
लक्ष्मीपति झूठी यह माया ,ब्रह्म सत्य मन भाता हैं।।
प्रात समय उठी सहस कमल पर ध्यान धरो करो
कर गयी वारी पखारि चारु तन , मानस पूजा सारो।।
भद्र स्वस्ति सिंहासन सारंग, कच्छप मोर सुधारो।
सिद्धासन करि हृदय चिबुक धरि, भृकुटि नैन निहारो।।
बद्ध कमल पर दृष्टि नासिका, रसना तालु लगाओ।
कर संपुट करि शक्ति ध्यान धरि , बहु विधि व्यधि नशाओ।
प्राणायाम विधान करो कुछ , चंद्र सूर्य हित लाओ।
नाड़ी सोधि त्रिकोण यंत्र पर, शंकर शीश नवाओ।
द्वादश पूरक षोड़श कुम्भक, दश रेचक मन लाओ।।
ब्रह्म बीज लै भूति शुद्ध करि, पातक मूल नसाओ।
एक स्वाह गहि तार शब्द करि, गगनहिं पवन चढ़ाओ।
लक्ष्मीपति निहारी परम पद, जीव मुक्त हो जाओ।।
Goswamiji ker smpurn bhajan up load kayak jaay, taki bhakt labh utha sake. Thanks
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