परमपूज्य सदगुरु महर्षि मेंही जी के उत्तराधिकारी
संतसेवी परमहंस जी महाराज जिन्होंने संतमत के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित किया,
उनके पावन कर्म की गाथा आज दशकों बाद भी गूंज रही हैं।
सभी सत्संग प्रेमियों को सूचित किया जाता हैं की,
वो इस महान और पवित्र दिन में,
पधार कर पूण्य का भागी बने।
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