प्रेम भक्ति गुरु दीजिये,
विनवै कर जोड़ी।
पल पल छोह न छोड़िये,
सुनिये गुरु मोरी।
युग युगान चहु खानि में,
भ्रमि भ्रमि दुःख भूरी।
पायउ पुनि अजहुँ नहिं,
रहूं इन्हते दूरी।
पल पल मन माया रमे,
कभू विलग न होता।
भक्ति भेद बिसरा रहे,
दुख सहि सहि रोता।
गुरु दयाल दया करी,
दिये भेद बताई।
महा अभागी जीव के,
दिये भाग जगाई।
पर निज बल कछु नाहिं हैं,
जेहि बने कमाई ।
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