Tuesday, 4 December 2018

सदगुरु की सार शिक्षा याद रखनी चाहिये!

       💐  ॐ  💐

सदगुरु की सार शिक्षा याद रखनी चाहिये।
           याद रखनी चाहिये।
अति अटल श्रद्धा प्रेम से 
     गुरु भक्ति करनी चाहिये।
मृग वारि सम सब ही प्रपंचन्ह , 
    बिषय सब दुःख रूप हैं।
निज सूरत को इनसे हटा, 
    प्रभु में लगाना चाहिये।
अव्यक्त व्यापक वयाप्य पर जो 
     राजते सबके परे।
उस अज अनादि अनंत प्रभु में ,
     प्रेम करना चाहिये।
जीवात्म प्रभु का अंश हैं।
     जस अंश नभ को देखिये।
घट मठ प्रपंचन्ह जब मिटै, 
     नहिं अंश कहना चाहिये।
ये प्रकृति द्वय उत्पति -लय ,
     होवै प्रभु की मौज से ।
ये अजा अनाघा स्वम् हैं,
     हरगिज न कहना चाहिए।
आवागमन सब दुःख दूजा ।
     हैं नहीं जग में कोई।
इसके निवारण के लिये,
     प्रभु भक्ति करनी चाहिये।
जितने मनुष्य तन धारी हैं ।
    प्रभु भक्ति कर सकते सभी।
अंतर व बाहर भक्ति कर, 
    घट पट हटाना चाहिये।
गुरु जाप मानस ध्यान मानस।
     कीजिये दृढ़ साधकर।
इनका प्रथम अभ्यास कर ,
       स्रुत शुद्ध करना चाहिये।
घट तम प्रकाश व शब्द पट त्रय,
        जीव पर हैं छा रहे।
कर दृष्टि अरु ध्वनि योग साधन,
        ये हटाना चाहिये।
इनके हटे माया हटेगी,
       प्रभु से होगी एकता।
फिर दैद्वता नहिं कुछ भी रहेगी।
     अस मनन दृढ़ चाहिये।
पाखंड अरुहंकार तजि,
     निष्कपट हो अरु दिन हो।
सब कुछ समर्पण कर गुरु की सेवा करनी चाहिए।
सत्संग नित अरु ध्यान नित, 
         रहिये संलग्न हो ।
व्यभिचार चोरी नशा हिंसा, 
        झूठ तजना चाहिये।




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