Saturday, 8 December 2018

रामलीला ग्राउंड सत्संग


रसिक सुंदर साँवरे की, प्राणजीवानि-जड़ी।
गौर अंग -अनंग अद्भुत, सुरति रंगन रारी।।

तेरो भृत्य भृत्य परिचायक, दास कौ दास कहाऊं।
यह परमारथ गुरु सिखायौ, स्यामा स्याम की पूजा।
परमानंद दास तुम ठाकुर, यह नातौ जिन टूटै।
नंदकुमार जसोदानंदन, हिलमिल प्रीत न छूटौ।।


हृदय मलिन वासना मान मद, जीव सहज सुख त्यागे।
परनिंदा सुनी श्रवण मलिन भे, बचन दोष पर गाये।

देव दनुज मुनि नाग मनुज नाहिं, जांचत कोउ न स्वांग करयो।



तुलसीदास निज भवन द्वार प्रभु, दीजै रहन परयो।





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