बाबा व्यासानंद जी महाराज,
महर्षि विद्या मंदिर के प्रांगण में।
आज का यह शुभ दिन,पूरे संतमत के लिये एक विशेष प्रकार का दिन हैं, ऐसा कहा जाता हैं कि गुरु परमेश्वर का ही रूप हैं
इस संसार में जितने भी लोग हुये हैं वह गुरु भक्ति करके ही आनंद रूप को पाया हैं,
गुरु ब्रह्म हैं, गुरु सत्य हैं गुरु का पावन द्वार।
कहते हैं जो भक्ति, आनंद, हर्ष उल्लास गुरु के द्वार पर मिले वैसा आनंद और कही नहीं हैं ।
परमात्मा भी उन्हीं को देखते जिनके मन में गुरु भक्ति हो।
गुरु नाम रट सुबहो शाम, यहीं दिखाते तुझको राम ।
"और राम नाम वह काजल हैं जो देता नयन में जान"
चल हंसा निज देश रे।
साध कृपा दइआल भये हैं, इहु छेदीओ दुसटू बिगाना।
तुमही सुंदर तुमही सियाने, तुमही सुघर सुजाना।
अहिनिसि लाहा हरि नामु परापति, गुरु दाता देवनहारू।
गुर मुखि सिख सोई जनु पाए, जिसनो नदरि करे करतारु।।
गुरु मेरी पूजा गुरु गोविंद गुरु मेरा पार ब्रह्म गुरु भगवंत।
जय गुरु महाराज
इस पावन पवित्र क्षण की फ़ोटो शेयर के लिये ( संतमत वाट्सएप्प ग्रुप को धन्यवाद )
👍"बोलिये प्रेम से सदगुरु महाराज जी जय"👍
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