सदगुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज द्वारा रचित आरती। 💐
आरती तन -मंदिर में कीजै।
दृष्टि युगल कर सन्मुख दीजै।
चमके विंदु सूक्ष्म अति उज्ज्वल।
ब्रह्मज्योति अनुपम लख लीजै।
जगमग जगमग रूप ब्राह्माण्डा ।
निरखि निरखि जोति तज दीजै।
शब्द सूरत अभ्यास सरलतर ।
करि करि सार शबद गहि लीजै।
ऐसी जुगति काया गढ़ त्यागी।
भव भ्रम भेद सकल मल छीजै।
भव खंडन आरति यह निर्मल।
करि मेंहीं अमृत रस पीजै।
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आरती तन -मंदिर में कीजै।
दृष्टि युगल कर सन्मुख दीजै।
चमके विंदु सूक्ष्म अति उज्ज्वल।
ब्रह्मज्योति अनुपम लख लीजै।
जगमग जगमग रूप ब्राह्माण्डा ।
निरखि निरखि जोति तज दीजै।
शब्द सूरत अभ्यास सरलतर ।
करि करि सार शबद गहि लीजै।
ऐसी जुगति काया गढ़ त्यागी।
भव भ्रम भेद सकल मल छीजै।
भव खंडन आरति यह निर्मल।
करि मेंहीं अमृत रस पीजै।
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