Wednesday, 5 December 2018

पवित्र संतमत तथा संत



संतमत सभी संतों का मत हैं , परम पुरातन इस पावन मत की गाथा सदियों से चली आ रही।
ऐसा कहा जाता हैं कि संतमत सभी संतों का सम्मान करता हैं। संतमत में सभी संतों को श्रेष्ठ माना गया, कहते हैं इस पृथ्वी पर जितने भी महान संत हुए हैं, उन सभी का एक ही मत हैं, इसलिए संतमत में सभी संतों की भक्ति की जाती उनके द्वारा लिखे गये काव्य ग्रंथों का अध्ययन तथा प्रवचन होता हैं ।
संतमत के लिये स्वामी व्यासानंद जी महाराज की समर्पित भक्ति , इस बात की पुष्टि करती की इस संसार में भगवान का अवतरण संतों की महान तपस्या का फल हैं ।
प्राचीन समय में भी संतों के तप से उनकी भक्ति से परमात्मा का अवतरण हुआ, जिस तरह से इस युग में फोन से आप दूर किसी व्यक्ति से बात करते ठीक उसी प्रकार परमात्मा अपनी बात इंसानों तक संत के ही माध्यम से पहुँचाते।
मानव रूप में संत परमात्मा का ही रूप हैं , जहां संत की भक्ति होती, वहाँ कभी भी अनर्थ नहीं होता

संत पूजे तीन मिले धन, यौवन और वंश ।
नहीं मानों तो देख लो रावण, कौरव ,कंश ।

कहते हैं संत, महात्माओं का हृदय गंगा की धारा हैं, वह संसार तथा सभी प्राणी के कल्याण की बात सोचते। 

संत इस संसार में, हैं एक पुष्प गुलाब।
काटों सा संसार फिर भी ,महक रहा बारम्बार ।
               


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